Enter your email address for Free Job & Gk News



Rajasthan General Knowledge राजस्थान - भौगोलिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्य

राजस्थान की चोहरी इसे एक पतंगाकार आकृति प्रदान करता है। राज्य २३ से ३० अक्षांश और ६९ से ७८ देशान्तर के बीच स्थित है। इसके उत्तर में पाकिस्तान, पंजाब और हरियाणा, दक्षिण में मध्यप्रदेश और गुजरात, पूर्व में उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश एवं पश्चिम में पाकिस्तान है।
सिरोही से अलवर की ओर जाती हुई ४८० कि.मी. लम्बी अरावली पर्वत श्रृंखला प्राकृतिक दृष्टि से राज्य को दो भागों में विभाजित करती है। राजस्थान का पूर्वी सम्भाग शुरु से ही उपजाऊ रहा है। इस भाग में वर्षा का औसत ५० से.मी. से ९० से.मी. तक है। राजस्थान के निर्माण के पश्चात् चम्बल और माही नदी पर बड़े-बड़े बांध और विद्युत गृह बने हैं, जिनसे राजस्थान को सिंचाई और बिजली की सुविधाएं उपलब्ध हुई है। अन्य नदियों पर भी मध्यम श्रेणी के बांध बने हैं। जिनसे हजारों हैक्टर सिंचाई होती है। इस भाग में ताम्बा, जस्ता, अभ्रक, पन्ना, घीया पत्थर और अन्य खनिज पदार्थों के विशाल भण्डार पाये जाते हैं।
राज्य का पश्चिमी संभाग देश के सबसे बड़े रेगिस्तान "थारपाकर' का भाग है। इस भाग में वर्षा का औसत १२ से.मी. से ३० से.मी. तक है। इस भाग में लूनी, बांड़ी आदि नदियां हैं, जो वर्षा के कुछ दिनों को छोड़कर प्राय: सूखी रहती हैं। देश की स्वतंत्रता से पूर्व बीकानेर राज्य गंगानहर द्वारा पंजाब की नदियों से पानी प्राप्त करता था। स्वतंत्रता के बाद राजस्थान इण्डस बेसिन से रावी और व्यास नदियों से ५२.६ प्रतिशत पानी का भागीदार बन गया। उक्त नदियों का पानी राजस्थान में लाने के लिए सन् १९५८ में राजस्थान नहर (अब इंदिरा गांधी नहर) की विशाल परियोजना शुरु की गई। यह परियोजना सन् २००५ तक सम्पूर्ण होगी। इस परियोजना पर ३००० करोड़ रु. व्यय होने का अनुमान है। इस समय इस पर १६०० करोड़ रु. व्यय हो चुके हैं। अब तक ६४९ कि.मी. लम्बी मुख्य नहर पूरी हो चुकी है। नहर की वितरिका प्रणाली लगभग ९००० कि.मी. होगी, इनमें से ६००० कि.मी. वितरिकाएं बन चुकी है। इस समय १० लाख हैक्टेयर भूमि परियोजना के सिंचाई क्षेत्र में आ गई है। परियोजना के पूरी होने के बाद क्षेत्र की कुल १५.७९ लाख हैक्टेयर भूमि सिंचाई से लाभान्वित होगी, जिससे ३५ लाख टन खाद्यान्न, ३ लाख टन वाणिज्यिक फसलें एवं ६० लाख टन घास उत्पन्न होगी। परियोजना क्षेत्र में कुल ५ लाख परिवार बसेंगे। जोधपुर, बीकानेर, चुरु एवं बाड़मेर जिलों के नगर और कई गांवों को नहर से विभिन्न "लिफ्ट परियोजनाओं' से पहुंचाये गये पीने का पानी उपलब्ध होगा। इस प्रकार राजस्थान के रेगिस्तान का एक बड़ा भाग शस्य श्यामला भूमि में बदल जायेगा। सूरतगढ़ में यह नजारा इस समय भी देखा जा सकता है।
इण्डस बेसिन की नदियों पर बनाई जाने वाली जल-विद्युत योजनाओं में भी राजस्थान भागीदार है। इसे इस समय भाखरा-नांगल और अन्य योजनाओं के कृषि एवं औद्योगिक विकास में भरपूर सहायता मिलती है। राजस्थान नहर परियोजना के अलावा इस भाग में जवाई नदी पर निर्मित एक बांध है, जिससे न केवल विस्तृत क्षेत्र में सिंचाई होती है, वरन् जोधपुर नगर को पेय जल भी प्राप्त होता है। यह सम्भाग अभी तक औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। पर इस क्षेत्र में ज्यो-ज्यों बिजली और पानी की सुविधाएं बढ़ती जायेंगी औद्योगिक विकास भी गति पकड़ लेगा। इस बाग में लिग्नाइट, फुलर्सअर्थ, टंगस्टन, बैण्टोनाइट, जिप्सम, संगमरमर आदि खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। जैसलमेर क्षेत्र में तेल मिलने की अच्छी सम्भावनाएं हैं। हाल ही की खुदाई से पता चला है कि इस क्षेत्र में उच्च कि की गैस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। अब वह दिन दूर नहीं है जबकि राजस्थान का यह भाग भी समृद्धिशाली बन जाएगा।
राज्य का क्षेत्रफल ३.४२ लाख वर्ग कि.मी. है जो भारत के क्षेत्रफल का १०.४० प्रतिशत है। यह भारत का सबसे बड़ा राज्य है। वर्ष १९९६-९७ में राज्य में गांवों की संख्या ३७८८९ और नगरों तथा कस्बों की संख्या २२२ थी। राज्य में ३२ जिला परिषदें, २३५ पंचायत समितियां और ९१२५ ग्राम पंचायतें हैं। नगर निगम २ और सभी श्रेणी की नगरपालिकाएं १८० हैं।
सन् १९९१ की जनगणना के अनुसार राज्य की जनसंख्या ४.३९ करोड़ थी। जनसंखाय घनत्व प्रति वर्ग कि.मी. १२६ है। इसमें पुरुषों की संख्या २.३० करोड़ और महिलाओं की संख्या २.०९ करोड़ थी। राज्य में दशक वृद्धि दर २८.४४ प्रतिशत थी, जबकि भारत में यह दर २३.५६ प्रतिशत थी। राज्य में साक्षरता ३८.८१ प्रतिशत थी. जबकि भारत की साक्षरता तो केवल २०.८ प्रतिशत थी जो देश के अन्य राज्यों में सबसे कम थी। राज्य में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति राज्य की कुल जनसंख्या का क्रमश: १७.२९ प्रतिशत और १२.४४ प्रतिशत है।
१९९६-९७ के अन्त में प्राथमिक विद्यालय ३३८९, उच्च प्राथमिक विद्यालय १२,६९२, माध्यमिक विद्यालय ३५०१ और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय १४०४ थे। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय ६, "डीम्ड' विश्वविद्यालय ४, कला वाणिज्य और विज्ञान महाविद्यालय २३१, इंजीनियकिंरग कॉलेज ७, मेडिकल कॉलेज ६, आयुर्वेद महाविद्यालय ५ और पोलीटेक्निक २४ हैं। राज्य में हॉस्पिटल २९, डिस्पेंसरियां २७८, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र १६१६, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र २६१, शहरी सहायता केन्द्र १३, उपकेन्द्र ९४००, मातृ एवं शिशु कल्याण केन्द्र ११८ एवं अन्तरोगी शैय्या में ३६७०२ हैं। आयुर्वेद औषधालयो की संख्या ३५७१ और होम्योपैथी चिकित्सालयों की संख्या १४६८ और भ्रमणशील पशु चिकित्सालयों की संख्या ५३ है।
राज्य में पशुधन की संख्या ६ करोड़ से अधिक है। राज्य के सभी नगर एवं ३७,२७४ गांव सुरक्षित पेय जल योजना के अन्तर्गत आ चुके हैं। राज्य में सड़कों की कुल लम्बाई १,३८,००० कि.मी. थी और वाहनों की संख्या १९.८ लाख थी। इनमें कारों और जीपों की संख्या १,६० लाख थी।
१९९६-९७ में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद स्थिर कीमतों पर लगभग १२४२० करोड़ रु. और सुद्ध घरेलू उत्पाद ११,०२१ करोड़ रु का था। राज्य में प्रति व्यक्ति आय २,२३२ रु. थी। उक्त वर्ष राज्य में खाद्यान्न उत्पाद १२७०२ लाख टन था और तिलहन तथा कपास का उत्पादन क्रमश: ४० लाख टन और १२.९५ लाख गांठें थी। राज्य में फसलों के अन्तर्गत कुल १७५ लाख हैक्टेयर क्षेत्र था। इसका २९ प्रतिशत सिंचित क्षेत्र था।
राज्य में १९९६ में शक्कर का उत्पादन ३१ हजार टन, वनस्पति घी का ३० हजार टन, नमक का ११ लाख टन, सीमेन्ट का ६६ लाख टन, सूती कपडे का ४५७ लाख मीटर और पोलिएस्टर धागे का उत्पादन ११५०० टन हुआ। प्रदेश में १९९६ में सार्वजनिक क्षेत्र में १०.१० लाख और निजी क्षेत्र में २.५६ लाख व्यक्ति कार्यरत थे। राज्य में बैंकों की कुल शाखाएं ३२१७ थीं, जिनमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की १०७० शाखाएं शामिल हैं।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Enter your email address:

अपने मेल बॉक्‍स में फ्री रोजगार समाचार के लिए अपना ईमेल Subscribe करें

Popular Posts

 
Design by Wordpress Theme | Bloggerized by Free Blogger Templates | JCPenney Coupons